April 23, 2012
April 6, 2012
क्या भूलूँ, क्या याद करूं...
March 29, 2012
चलते चलते, जलते जलते...
March 20, 2012
March 19, 2012
March 17, 2012
March 11, 2012
क्षण भर जीवन - मेरा परिचय...

यदि अमृत से पड़ता पाला,
यदि पात्र हलाहल का बनता,
बस एक बार जाता ढाला,
चिर जीवन औ' चिर मृत्यु जहां,
लघु जीवन की चिर प्यास कहाँ,
जो फिर-फिर होठों तक जाता,
वह तो बस मदिरा का प्याला,
मेरा घर है अरमानों से,
परिपूर्ण जगत का मदिरालय,
मिटटी का तन, मस्ती का मन,
क्षण भर जीवन - मेरा परिचय...
- हरिवंश राय बच्चन
March 8, 2012
कभी लगता है कि अंगारा कोई बाकी है,
February 26, 2012
February 18, 2012
February 15, 2012
एक खिड़की खुली रह जाती है..

जब भी पड़ाव से निकले, आगे चले
कुछ किताबें बंद करीं,
कुछ परिंदों को पिंजरे से आज़ाद किया,
दरवाज़े की सांकल पर ताला भी लगाया,
... पर एक खिड़की खुली रह जाती है..
और कुछ हमसफ़र मुसाफिर थे
जो आये इस घर में... चले गए
उनकी यादों को नीम की पत्तियों में बाँध कर
सोचा था - चलो ऐसा भी होता है
... पर एक खिड़की खुली रह जाती है..
अजब सा कारवां है ये
अजब सा मैं मुसाफिर हूँ
जो काँधे पर लिए ये कुटिया भटकता, ढूंढता हूँ
बांधता हूँ, कैद करता हूँ सभी खोये हुए लम्हे
... पर एक खिड़की खुली रह जाती है..
February 13, 2012
February 9, 2012
January 10, 2012
December 29, 2011
December 26, 2011
इस जहाँ से आगे, इक जहाँ और भी है...
December 25, 2011
I was a man recounting stories, living out "as ifs"....

recounting stories
living out 'as ifs'
...creating,
encountering
exploring, experimenting with...
the possibilities within
the options without...
Travelling through
the labyrinths of my own creation,
...somewhere on the way,
I stumbled across
this Truth within:
...that!
I do not find myself
in the stories I recount,
the options I create
the possibilities I perceive...
but
discovering myself
is an unending pilgrimage
of becoming aware
of the processes..
...which create my illusions,
my make-believe identities
- and my random stories...
-May 6th, '87
December 9, 2011
बादल से फूलों तक, टहनी के झूलों तक...

बादल से फूलों तक, टहनी के झूलों तक,
ठहर गयीं दो पल को, ढूंढती धरातल को,
भीगी कुछ पंखुड़ियाँ, सपनों की कुछ लड़ियाँ,
कुछ पल लहरायेंगी, कल तक गिर जायेंगी,
कुछ आधी, कुछ पूरी... पानी की बूँदें...
December 5, 2011
December 4, 2011
November 20, 2011
November 14, 2011
November 13, 2011
October 31, 2011
October 25, 2011
October 24, 2011
October 20, 2011
September 18, 2011
कभी तूफां किनारा था, कभी साहिल ही तूफां था...
July 17, 2011
July 4, 2011
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