April 23, 2012

इक भूल थे हम, शूल थे हम...

इक भूल थे हम,
शूल थे हम..
आँधियों की 
धूल थे हम

...देखा हमें, परखा हमें
इक हाथ ने, इक आँख ने..

हमको नयी आवाज़ दी...

... अब जानते हैं हम
- सहमते से हुए फिर भी -
...कि शायद
इस दहकती धुप में
खिलते हुए कुछ फूल हैं हम...

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