December 9, 2011

बादल से फूलों तक, टहनी के झूलों तक...


बादल से फूलों तक, टहनी के झूलों तक,
ठहर गयीं दो पल को, ढूंढती धरातल को,
भीगी कुछ पंखुड़ियाँ, सपनों की कुछ लड़ियाँ,
कुछ पल लहरायेंगी, कल तक गिर जायेंगी,
कुछ आधी, कुछ पूरी... पानी की बूँदें...

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