![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg3GaeepNhBcaU3HSoEuga667TpfUbaUeAFwA7hoRw97H_vKRQ8YobYqNtWjHE1bWoHLJNhYK6MT4DF4POMf5CD1QDZAEeAuctImh1d8t6WLsiOxVjEFGrRrVtVL_jFJEjkeGvG/s200/Mitti+ka+tan....jpg)
यदि अमृत से पड़ता पाला,
यदि पात्र हलाहल का बनता,
बस एक बार जाता ढाला,
चिर जीवन औ' चिर मृत्यु जहां,
लघु जीवन की चिर प्यास कहाँ,
जो फिर-फिर होठों तक जाता,
वह तो बस मदिरा का प्याला,
मेरा घर है अरमानों से,
परिपूर्ण जगत का मदिरालय,
मिटटी का तन, मस्ती का मन,
क्षण भर जीवन - मेरा परिचय...
- हरिवंश राय बच्चन
No comments:
Post a Comment