...बस एक बार पूछा जाता,
यदि अमृत से पड़ता पाला,
यदि पात्र हलाहल का बनता,
बस एक बार जाता ढाला,
चिर जीवन औ' चिर मृत्यु जहां,
लघु जीवन की चिर प्यास कहाँ,
जो फिर-फिर होठों तक जाता,
वह तो बस मदिरा का प्याला,
मेरा घर है अरमानों से,
परिपूर्ण जगत का मदिरालय,
मिटटी का तन, मस्ती का मन,
क्षण भर जीवन - मेरा परिचय...
- हरिवंश राय बच्चन
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