April 28, 2011

...और फिर रात की सियाही से,



...और फिर रात की सियाही से,
एक उचकी हुई सी चिंगारी,
फिर ठिठकती सी रुक जाती:
"मैं कहीं जुगनू ना बन जाऊं!"

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