April 25, 2010

India - 2nd largest Automobile Market



...this news-item informs us, that India is the 2nd largest automobile market - after China...

One day - God forbid! - India will overtake China too...

April 4, 2010

पथिक स्वयं हूँ, पथ भी हूँ मैं...



पथिक स्वयं हूँ, पथ भी हूँ मैं,
अपने पथ-चिन्हों के पीछे
खोज रहा हूँ अपना साया
शायद मिल पाऊँगा इक दिन...
'गर रहे सलामत ये पागलपन...

March 18, 2010

Flickering. Intertwined. Momentary... lives!

Omar Khayyam's Rubaiyat: XLVI:
And fear not lest Existence closing yourAccount,
and mine, should know the like no more;
The Eternal Saki from that Bowl has pour'd
Millions of Bubbles like us, and will pour.

My Translation:
मरने के बाद भी,हम मिटेंगे नहीं।
आने वाली पीढ़ियों में हमारा अंश होगा......

इसलिए नहीं कि हमारी आत्मा उनमे होग़ी
याकि वोह हमारी संतान होंगी... ।
बल्कि इसलिए क्योंकि पानी में बुलबुले उठते रहे हैं॥
और उठते रहेंगे॥...

और सब बुलबुले एक से होते हैं...

March 12, 2010

...life flows below my balcony

For Siddhartha, the ferryman, it was the river - for me it is my balcony...



















...and "everything returns"...

December 23, 2009

हम सब धुंध भरे कमरों में..


हम सब
धुएं भरे कमरे में
अलग-अलग बंद
कुच्छ भटके हुए सार हैं
जिनका सन्दर्भ खो चुका है..

ओझल हाथों से
पथरीली दीवालों को टटोलातें हैं
कि शायद कोई शिलालेख मिल जाये;
...लेकिन ये दीवारें नयी हैं,
इनसे सिर्फ हाथ पर चूने की सफेदी लग जाती है


...कोई चिन्ह नहीं, कोई उभार नहीं,
जो हमें हमारी खोयी आकृति वापस दे दे


शायद यदि एक दूसरे को छू पाते,
तो कुछ मिल जाता


...लेकिन यह कमरे बंद हैं, अलग हैं...

कुछ सुराख़ हैं, जिनके धुंधले दायरे से
एक दूसरे का निशाना पा जाते हैं


...और तब लगता है की हम
अकेले नहीं हैं...


...और भी बहुत से हैं,
जो अलग-अलग
अपने-अपने
धुंध भरे बंद कमरों में
अपना सन्दर्भ टटोले रहे हैं!...