October 18, 2012

प्रिय! सांध्य गगन मेरा जीवन...

यह क्षितिज बना धुंधला विराग,
नव अरुण, अरुण मेरा सुहाग,
छाया सी काया वीतराग,
सुधिभीने स्वप्न रंगीले घन!
प्रिय! सांध्य गगन मेरा जीवन - (महादेवी वर्मा)
 








































 

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