March 29, 2012
चलते चलते, जलते जलते...
चलते चलते, जलते जलते...
उन्माद लिए, इक प्यास लिए
बुझती आसों की राख लिए -
...जैसा सदियों से होता है,
ये आग कभी बुझ जायेगी,
रह जायेंगे कुछ अंगारे
औ' इक छोटी सी चिंगारी -
शायद इक दिन वो सोचेंगे
क्या इसी लिए था जन्म लिया?...
- Jamshedpur (March 29, '12)
March 20, 2012
March 19, 2012
March 17, 2012
March 11, 2012
क्षण भर जीवन - मेरा परिचय...
...बस एक बार पूछा जाता,
यदि अमृत से पड़ता पाला,
यदि पात्र हलाहल का बनता,
बस एक बार जाता ढाला,
चिर जीवन औ' चिर मृत्यु जहां,
लघु जीवन की चिर प्यास कहाँ,
जो फिर-फिर होठों तक जाता,
वह तो बस मदिरा का प्याला,
मेरा घर है अरमानों से,
परिपूर्ण जगत का मदिरालय,
मिटटी का तन, मस्ती का मन,
क्षण भर जीवन - मेरा परिचय...
- हरिवंश राय बच्चन
यदि अमृत से पड़ता पाला,
यदि पात्र हलाहल का बनता,
बस एक बार जाता ढाला,
चिर जीवन औ' चिर मृत्यु जहां,
लघु जीवन की चिर प्यास कहाँ,
जो फिर-फिर होठों तक जाता,
वह तो बस मदिरा का प्याला,
मेरा घर है अरमानों से,
परिपूर्ण जगत का मदिरालय,
मिटटी का तन, मस्ती का मन,
क्षण भर जीवन - मेरा परिचय...
- हरिवंश राय बच्चन
March 8, 2012
कभी लगता है कि अंगारा कोई बाकी है,
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