मुझसे वादा है एक कविता का,
मिलेगी मुझको..
डूबती नब्जों में जब
दर्द को नींद आने लगे,
ज़र्द सा चहरा लिए
चाँद उफ़क तक पहुंचे,
दिन अभी पानी में हो,
और रात किनारे के करीब,
ना अँधेरा, ना उजाला
ना आधी रात हो, न दिन
जिस्म जब ख़त्म हो,
रूह को सांस आये...
...मुझसे वादा है एक कविता का,
मिलेगी मुझको |
-गुलज़ार
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