July 24, 2010

छोटी छोटी छितराई यादें, बिछी हुई हैं लम्हों की लॉन पर...

"छोटी छोटी छितराई यादें, बिछी हुई हैं लम्हों की लॉन पर,
नंगे पैर उन पर चलते चलते, इतनी दूर आ गए हैं,
कि अब भूल गए हैं, जूते कहाँ उतारे थे...."



Somehow, in my mind, these verses by Amitabh Bhattacharya (Udaan) were just written for this photograph...

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